डेंगू की बीमारी एडीज मच्छर के काटने से होती है. पिछले कुछ वर्षों से ये एक ऐसी बीमारी हो चुकी है जिससे हर किसी को डर लगता है. यश बीमारी फिलहाल 125 देशों मे फैल चुकी है, इतना ही नही इसके चपेट मे 50-270 मिलियन लोग हर साल आते है. papaya-leaf शोध के अनुसार पपीता संभावना इस बीमारी मे प्लेटलेट के स्तर को बढाने मे मदद करता है. पपीते के पत्ते के रस और पपीते के जूस मे पाया गया है की इनमे एंटी इंफलामेटरी, एंटिकैंसर, एंटीओक्सीडेटीव, एंटीबैक्टीरियल, हेपाटोप्रोटेक्टिव तत्व होते है. श्रीलंका के एक शोध के अनुसार 12 लोगों पर पपीते के रस का प्रयोग किया गया, जो डेंगू के चपेट मे थे. अन्य दवाओं के साथ आठ घंटे के अंतराल पर उनको पपीते के रस की दो खुराक दी गयी. रिसर्च मे पाया गया की इसकी वजह से 24 घंटे के भीतर प्लेटलेट का स्तर और श्वेत रुधिर कनिकाओं का स्तर बढ़ गया था. हलाकी की सिर्फ़ 50 प्रतिशत मरीजों मे ही डेंगू की समस्या साबित हुई. इंडोनेशिया के शोध के मुताबिक करीब 80 मरीजों पर इस जूस का परीक्षण किया गया. उनको इस बीमारी से जल्दी राहत मिली और वो अस्पताल से जल्दी घर जा सके. मलेशिया शोध मे ओर्गेनिक तरीके से उगाए पपीते के पत्ते के रस का इस्तेमाल करीब 290 मरीजों पर किया गया. इन मरीजों का प्लेटलेट बोहत कम था. कर्मियों ने 50 ग्राम पपीते का रस मरीजों को तीन दिन लगातार नाश्ते के बाद हर रोज दिया. इसके साथ ही उनको सामान्य डेंगू की दवा भी देते रहे. ये शोध दोनों ग्रुप के बीच हुआ एक को दवा के साथ ये जूस दिया और दूसरे का उपचार सामान्य दवा से किया गया. जिस ग्रुप को पपीता का जूस दिया गया उसके प्लेटलेट मे बोहत सुधार पाया गया. इस बात का ध्यान रखे पपीते के रस मे ऐसे तत्व पाए गए है जो डेंगू मे मदद है. मगर उसके साथ दवा का सेवन भी जारी रखे. इसके साथ ही जब डेंगू की पुष्टि हो तो पपीते के रस का इस्तेमाल करने के पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लीजिए.